प्रधान बौद्ध ग्रंथ ललितविस्तर सूत्र का निम्न वचन देखें –
इह खलु बौद्धशास्त्रसमूहेषु सम्प्रोक्ताः पञ्चविंशतिर्बुद्धा दृश्यन्ते। तेषां शुद्धोदनौरसात् मायादेवीगर्भजातः शाक्यसिंहसर्वार्थसिद्धार्कबन्धुगौतमेति नामचतुष्टयेन प्रसिद्धोऽन्तिमतमः लोकविश्रुतो बुद्धः कपिलवस्तुनगरे कलेश्चतुःशतषडशीत्यधिकद्विसहस्रमितेषु गतेष्वब्देषु शुक्रवासरे सुरद्विषां सम्मोहनाय साक्षाद् विवेकमूर्त्तिः स्वेच्छाविग्रहेण प्रादुर्बभूव।
(ललितविस्तर सूत्र)
बौद्धशास्त्र के समूहों में (दीपङ्कर बुद्ध से गौतम बुद्ध तक और भविष्य के मैत्रेय बुद्ध को मिलाकर) पच्चीस बुद्ध दिखते हैं। उनमें शुद्धोदन की औरस सन्तान, जो मायादेवी के गर्भ से उत्पन्न हुई, जिनकी शाक्यसिंह, सर्वार्थसिद्ध (सिद्धार्थ), अर्कबन्धु और गौतम, इन चार नामों से प्रसिद्धि हुई, वे सबसे निकट (हाल ही) के हैं, इनकी कीर्ति संसार में प्रसिद्ध है। कपिलवस्तु में कलियुग के २४८६ (दो हज़ार, चार सौ छियासी) वर्ष बीतने पर शुक्रवार को देवताओं से द्रोह करने वाले (असुरों) को मोहित करने के लिए साक्षात् विवेक की मूर्ति, इच्छानुसार शरीर को धारण करके उत्पन्न हुए।
यहां सुरद्विषां सम्मोहनाय शब्द से गौतम बुद्ध के अवतार का जो उद्देश्य था, उसका अजिनपुत्र महात्मा बुद्ध के अवतार का उद्देश्य, जो श्रीमद्भागवत में सम्मोहाय सुरद्विषाम् के रूप में वर्णित है, उससे संगति होना सिद्ध करता है कि दोनों बुद्ध भगवान् विष्णु के ही अवतार थे एवं समान उद्देश्य से आये थे।
अब हम ऐसे शास्त्रीय प्रमाणों पर चर्चा करेंगे जो स्पष्ट रूप से नाम, रूप आदि सभी आयामों में गौतम बुद्ध को भगवान् विष्णु का अवतार बताते हैं।
वक्ष्ये बुद्धावतारं च पठतः शृण्वतोऽर्थदम्।
पुरा देवासुरे युद्धे दैत्येर्देवाः पराजिताः॥
रक्ष रक्षेति शरणं वदन्तो जग्मुरीश्वरम्।
मायामोहस्वरूपोऽसौ शुद्धोदनसुतोऽभवत्॥
मोहयामास दैत्यांस्तांस्त्याजिता वेदधर्मकम्।
ते च बौद्धाबभूवुर्हि तेभ्योऽन्यो वेदवर्जिताः॥
(अग्निपुराण, अध्याय – १६, श्लोक – ०१-०३)
जिसको पढ़ने या सुनने से अर्थागम होता है, उस बुद्धावतार का वर्णन करता हूँ। पूर्वकाल में देवासुर संग्राम होने पर दैत्यों ने (वेदधर्म के पालन से जन्य पुण्यबल से) देवताओं को पराजित कर दिया। तब सभी देवता जगदीश्वर भगवान् विष्णु के पास रक्षा कीजिये, रक्षा कीजिये ! ऐसा कहते हुए गए। तब भगवान् ने माया से मोहित करने वाले रूप को धारण करके शुद्धोदन के पुत्र में अवतार लिया। उन्होंने दैत्यों को मोहित करके उनसे वैदिकधर्म का आचरण छुड़वा दिया। वे सभी दैत्य बाद में बौद्ध बन गए और उनसे अन्य लोग भी वेदों का परित्याग करने लगे।
अब भगवान् विष्णु के दशावतार में शुद्धोदन पुत्र बुद्ध का स्वरूप कैसा है, उसका वर्णन भी देखें –
शान्तात्मा लम्बकर्णश्च गौराङ्गश्चाम्बरावृतः।
ऊर्ध्वपद्मस्थितो बुद्धो वरदाभयदायकः॥
(अग्नि पुराण, दशावतारप्रतिमालक्षण, अध्याय – ४९, श्लोक – ०८)
शान्तव्यक्तित्व, लंबे कान, गोरा शरीर, वस्त्र पहने हुए, ऊपर की ओर खिले कमल पर बैठे हुए बुद्ध वरद एवं अभय मुद्रा को धारण करके वरदाभय को देते हैं। (यह स्वरूप गौतम बुद्ध का ही है)
एक और प्रमाण देखें जो बहुत ही दुर्लभ ग्रंथ से है। जैसे महापुराणों में विष्णुपुराण एवं शिवपुराण हैं, वैसे ही उपपुराणों में विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) एवं विष्णुधर्मोत्तर पुराण हैं। साथ ही शिवधर्म पुराण (पूर्व) एवं शिवधर्मोत्तर पुराण भी हैं। निम्न प्रमाण विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) से है, जिसमें भगवान् विष्णु स्वयं ब्रह्मा जी से अपने अवतारों का वर्णन करते हुए श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि अवतारकथन के बाद कहते हैं –
ततः कलियुगे घोरे सम्प्राप्तेऽब्जसमुद्भव।
शुद्धोदनसुतो बुद्धो भविष्यामि विमत्सरः॥
बौद्धं धर्ममुपाश्रित्य करिष्ये धर्मदेशनाम्।
नराणामथ नारीणां दया भूतेषु दर्शयन्॥
रक्ताम्बरा ह्यञ्जिताक्षा: प्रशान्तमनसस्ततः।
शूद्रा धर्मं प्रवक्ष्यन्ति मयि बुद्धत्वमागते॥
एडूकचिह्ना पृथिवी न देवगृहभूषिता।
भवित्री प्रायशो ब्रह्मन्मयि बुद्धत्वमागते॥
(विष्णुधर्म (पूर्व) पुराण, अध्याय – ६६, श्लोक – ६८-७१)
हे ब्रह्मन् ! उसके बाद घोर कलियुग के आने पर मैं ईर्ष्यारहित होकर शुद्धोदन के पुत्र बुद्ध के रूप में अवतार लूंगा। बौद्धधर्म का आश्रय लेकर मैं धर्म का उपदेश करूँगा, स्त्री एवं पुरुषों को प्राणियों में दयाभाव का उपदेश करूँगा। जब मैं बुद्ध बनूंगा तो लाल वस्त्र पहने, काली आंखों वाले, शांतचित्त शूद्र भी उस समय धर्म का उपदेश करने लगेंगे। पृथ्वी एडूक (मज़ार) से भर जाएगी, मंदिरों की संख्या कम होने लगेगी एवं मेरे बुद्धावतार के बाद पृथ्वी ऐसी ही हो जाएगी।
इस प्रकार मैंने यह सिद्ध किया कि अजिनपुत्र ब्राह्मण महात्मा बुद्ध एवं शुद्धोदनपुत्र क्षत्रिय गौतम बुद्ध, ये दोनों ही भगवान् विष्णु के ही अवतार हैं।
बौद्धमत के ग्रंथ तो कामाख्या आदि को भी मान्यता देते हैं, जबकि आजकल के नवबौद्ध कामाख्या की योनिपूजा को लेकर उपहास करते हैं।
कामरूपं भवेत् पृथ्वीरापः पूर्णगिरिस्मृतः।
जालन्धरं महातेजो वायुरोंकारमण्डलम्॥
(मंथानभैरवतन्त्र, कुमारिकाखण्ड, आनन्द – ६७)
सबसे वर्तमान में जो गौतम बुद्ध हुए वो अपने शिष्यों को, विशेषतः पुत्र राहुल को अपने पूर्वजन्मों और उनके समकालीन बुद्धों का वर्णन करते हुए बुद्धवंसपालि का उपदेश करते हैं जो सुत्तपिटक के खुद्दकनिकाय के अंतर्गत वर्णित है। ललितविस्तर और जातक आदि का कथन है कि बुद्धावतार यदि मानव में हों तो ब्राह्मण या क्षत्रिय कुल में ही होता है।
भगवान् गौतम बुद्ध का पहला जन्म
नाम – सुमेध
कुल – ब्राह्मण
निवास – अमरावती
तात्कालीन बुद्ध – भगवान् दीपङ्कर बुद्ध
इन्हीं दीपङ्कर बुद्ध की शरण में सुमेध गए थे और दीपङ्कर बुद्ध ने उस समय भविष्यवाणी की थी –
पस्सथ इमं तापसं जटिलं उग्गतापनम्।
अपरिमेय्यितो कप्पे बुद्धो लोके भविस्सति॥
अहु कपिलब्हया रम्मा निक्खमित्वा तथागतो।
पधानं पदहित्वान कत्वा दुक्करकारिकम्॥
अजपालरुक्खमूलस्मिं निसीदित्वा तथागतो।
तत्थ पायासं पग्गय्ह नेरञ्जनमुपेहिति॥
नेरञ्जनाय तीरम्हि पायासं अद सो जिनो।
पटियत्तवरमग्गेन बोधिमूलमुपेहिति॥
ततो पदक्खिणं कत्वा बोधिमण्डं अनुत्तरो।
अस्सत्थरुक्खमूलम्हि बुज्झिस्सति महायशो॥
इमस्स जनिका माता माया नाम भविस्सति।
पिता सुद्धोदनो नाम अयं हेस्सति गोतमो॥
(बुद्धवंसपालि, सुमेधपत्थनाकथा, ६१-६६)
दीपङ्कर बुद्ध बोले – इस उग्र तपस्या करने वाले जटाधारी तपस्वी को देखो। यह आज से चार असंख्येय कल्प के बीतने पर बुद्ध होगा। यह तथागत बनने के लिए कपिलवस्तु नगरी से गृहत्याग कर प्रबल उद्योग एवं दुष्कर तपस्या करता हुआ अजपाल नामक बरगद वृक्ष के नीचे बैठकर वहां दूध (या खीर) ग्रहण करके निरंजना (फल्गु की एक शाखा) नदी के तट पर जाएगा। निरंजना नदी के तट पर उस क्षीर को खाकर, व्यवस्थित मार्ग से बोधिवृक्ष के नीचे जाएगा। यह अनुपम महान् यशस्वी, उस बोधिवृक्ष की प्रदक्षिणा करके पीपल के नीचे बुद्ध बनेगा। इसकी माता माया देवी होंगी तथा पिता का नाम शुद्धोदन होगा। इसका नाम गौतम होगा। (इसी भविष्यवाणी का अनुमोदन परवर्ती बुद्ध करते गए हैं)
भगवान् दीपङ्कर बुद्ध का जन्मस्थान – रम्यवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुमेधा एवं सुदेव
पटरानी – पद्मा
पुत्र – वृषभस्कन्ध
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुमेध नामक मुमुक्षु ब्राह्मण
भगवान् कौण्डिन्य बुद्ध
जन्मस्थान – रम्यवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुजाता एवं सुनन्द
पटरानी – रुचि देवी
पुत्र – विजितसेन
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – चक्रवर्ती राजा
भगवान् कौण्डिन्य बुद्ध की भविष्यवाणी –
इमस्स जनिका माता माया नाम भविस्सति।
पिता सुद्धोदनो नाम अयं हेस्सति गोतमो॥
×××××
आयु वस्ससतं तस्स गोतमस्स यसस्सिनो॥
इसकी माता मायादेवी और पिता शुद्धोदन होंगे। इसका नाम गौतम होगा एवं इस यशस्वी की आयु सौ वर्ष के करीब होगी।
भगवान् मङ्गल बुद्ध
जन्मस्थान – उत्तर नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – उत्तर एवं उत्तरा
पटरानी – यशस्वी (यशस्विनी)
पुत्र – शिवल
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुरुचि नामक वेदाभ्यासी ब्राह्मण
भगवान् सुमन बुद्ध
जन्मस्थान – मेखल नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुदत्त एवं सिरिमा
पटरानी – अवतंसिका
पुत्र – अनुपम
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – देवयोनि में नागराज
भगवान् रेवत बुद्ध
जन्मस्थान – सुधान्यवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – विपुला एवं विपुल
पटरानी – सुदर्शना
पुत्र – वरुण
आयु – साठ हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – अतिदेव नामक दरिद्र ब्राह्मण
भगवान् शोभित बुद्ध
जन्मस्थान – सुधर्मनगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुधर्मा एवं सुधर्म
पटरानी – मणिला
पुत्र – सिंह
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुजात नामक ब्राह्मण
भगवान् अनोमदर्शी बुद्ध
जन्मस्थान – चन्द्रवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – यशोधरा एवं यशस्वी
पटरानी – सिरिमा
पुत्र – उपवाण
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – देवयोनि में यक्षराज
भगवान् पद्म बुद्ध
जन्मस्थान – चम्पकनगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – असमा एवं असम
पटरानी – उत्तरा
पुत्र – रम्य
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – पशुयोनि में सिंह
भगवान् नारद बुद्ध
जन्मस्थान – धन्यवती नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – अनोमा एवं सुदेव
पटरानी – विजितसेना
पुत्र – नन्दोत्तर
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – जटाधारी तपस्वी
भगवान् पद्मोत्तर बुद्ध
जन्मस्थान – हंसवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुजाता एवं आनन्द
पटरानी – वसुदत्ता
पुत्र – उत्तम
आयु – एक लाख वर्ध
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – जटिल नामक प्रशासनिक अधिकारी
भगवान् सुमेध बुद्ध
जन्मस्थान – सुदर्शन नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुदत्ता एवं सुदत्त
पटरानी – सुमना
पुत्र – पुनर्वसु
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – उत्तर नामक करोड़पति
भगवान् सुजात बुद्ध
जन्मस्थान – सुमङ्गल नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – प्रभावती एवं उद्गत
पटरानी – श्रीनन्दा
पुत्र – उपसेन
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – चार द्वीपों का चक्रवर्ती सम्राट्
भगवान् प्रियदर्शी बुद्ध
जन्मस्थान – सुधन्य नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – चन्द्रा एवं सुदत्त
पटरानी – विमला
पुत्र – काञ्चनावेल
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – काश्यप नामक वेदपाठी ब्राह्मण
भगवान् अर्थदर्शी बुद्ध
जन्मस्थान – शोभन नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुदर्शना एवं सागर
पटरानी – विशाखा
पुत्र – शैल
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुसीम नामक उग्र तपस्वी
भगवान् धर्मदर्शी बुद्ध
जन्मस्थान – शरण नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुनन्दा एवं शरण
पटरानी – विचिकोली
पुत्र – पुण्यवर्द्धन
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – देवयोनि में देवराज इन्द्र
भगवान् सिद्धार्थ बुद्ध (प्राचीन)
जन्मस्थान – वैभार नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सुस्पर्शा एवं उदयन
पटरानी – सौमनस्या
पुत्र – अनुपम
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – मङ्गल नामक त्रिकालदर्शी तपस्वी
भगवान् तिष्य बुद्ध
जन्मस्थान – क्षेमक नगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – पद्मा एवं जनसन्ध
पटरानी – सुभद्रा
पुत्र – आनन्द
आयु – एक लाख वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुजात नामक राजा
भगवान् पुष्य बुद्ध
जन्मस्थान – काशिका नगरी
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – सिरिमा एवं जयसेन
पटरानी – कृशा गौतमी
पुत्र – अनुपम
आयु – नब्बे हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – विजितावी नामक राजा
भगवान् विपश्यी बुद्ध
जन्मस्थान – बन्धुमती नगरी
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – बन्धुमती एवं बन्धुमान्
पटरानी – सुदर्शना
पुत्र – समवृत्तस्कंध
आयु – अस्सी हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – देवयोनि में अतुल नामक नागराज
भगवान् शिखी बुद्ध
जन्मस्थान – अरुणवती
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – प्रभावती एवं अरुण
पटरानी – सर्वकामा
पुत्र – अतुल
आयु – सत्तर हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – अरिन्दम नामक प्रतापी राजा
भगवान् विश्वम्भू बुद्ध
जन्मस्थान – अनोमनगर
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – यशस्वी (यशस्विनी) एवं सुप्रतीत
पटरानी – सुचित्रा
पुत्र – शूर्पबुद्ध
आयु – साठ हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – सुदर्शन नामक राजा
भगवान् ककुसन्ध बुद्ध
जन्मस्थान – क्षेमवती नगरी
कुल – ब्राह्मण
माता एवं पिता – विशाखा एवं अग्निदत्त
पटरानी – रोचिनी
पुत्र – उत्तर
आयु – चालीस हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – क्षेम नामक प्रजावत्सल राजा
भगवान् कोणागमन बुद्ध
जन्मस्थान – शोभवती
कुल – ब्राह्मण
माता एवं पिता – उत्तरा एवं यज्ञदत्त
पटरानी – रुचिगात्रा
पुत्र – स्वस्तिज
आयु – तीस हजार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – पर्वत नामक दिग्विजयी राजा
भगवान् काश्यप बुद्ध
जन्मस्थान – कीकट (उस समय वाराणसी में महाराज किकी का शासन था)
कुल – ब्राह्मण
माता एवं पिता – धनवती एवं ब्रह्मदत्त (अजन)
पटरानी – सुनन्दा
पुत्र – विजितसेन
आयु – बीस हज़ार वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – ज्योतिपाल नामक वेदज्ञ ब्रह्मचारी
भगवान् गौतम बुद्ध
जन्मस्थान – कपिलवस्तु
कुल – क्षत्रिय
माता एवं पिता – मायादेवी एवं शुद्धोदन
पटरानी – भद्रकञ्चना यशोधरा
पुत्र – राहुल
आयु – लगभग सौ वर्ष
उस समय गौतम बुद्ध की स्थिति – मुख्य बुद्धत्व की स्थिति में महापरिनिर्वाण
दीपङ्कर बुद्ध के समय जो सुमेध ब्राह्मण थे, वे इस सनातनी गणना से श्वेतवाराह कल्प एवं बौद्ध गणना से भद्रक कल्प में ही गौतम बुद्ध बने। दीपङ्कर बुद्ध से पूर्व उनके ही कल्प में तण्हङ्कर बुद्ध, मेघङ्कर बुद्ध एवं शरणङ्कर बुद्ध हो चुके थे। दीपङ्कर बुद्ध के कई कल्पों के बाद कौण्डिन्य बुद्ध हुए। भगवान् कौण्डिन्य बुद्ध एवं मङ्गल बुद्ध के मध्य असंख्य कल्पों का अंतराल था। भगवान् मङ्गल बुद्ध के बाद हुए सुमन बुद्ध से लेकर शोभित बुद्ध तक चार बुद्ध एक ही कल्प में हुए हैं। उसके बाद कई कल्पों के अंतराल से अनोमदर्शी बुद्ध हुए। इन्हीं के कल्प में पद्म एवं नारद बुद्ध भी हुए। इसके बाद एक लाख कल्पों तक बुद्धावतार नहीं हुआ, फिर पद्मोत्तर बुद्ध हुए। इनके बाद तीस हजार कल्पों के मध्य मात्र सुमेध एवं सुजात बुद्ध हुए। फिर अठारह सौ कल्पों के बाद प्रियदर्शी, अर्थदर्शी एवं धर्मदर्शी बुद्ध एक ही कल्प में आये। वर्तमान कल्प से ९४ कल्प पूर्व सिद्धार्थ (प्राचीन) बुद्ध आये। उनके आने के दो कल्प के बाद तिष्य एवं पुष्य नामक बुद्ध आये। उसके भी अगले कल्प में विपश्यी बुद्ध हुए। वर्तमान कल्प से ३१ कल्प पूर्व शिखी एवं विश्वम्भू नामक बुद्ध हुए।
वर्तमान भद्रक कल्प में ककुसन्ध, कोणागमन, काश्यप एवं गौतम बुद्ध हुए हैं। इसके बाद आगे आने वाले कल्पों में भविष्य के मैत्रेय आदि बुद्ध होंगे। आज के बौद्धों को बुद्धत्व की इस अनादि एवं अनंत परम्परा का शास्त्रीय बोध न होने से केवल गौतम बुद्ध के नाम पर उदरपूर्ति करते रहते हैं।